Be confident and calm in any situation

कैसी भी एवं कितनी भी
कठिन परिस्थितियाँ हों,
उनका सामना पूरी शक्ति
एवं आत्मविश्वास के साथ
करें, उन पर विषाद करते
हुए व्यर्थ का प्रलाप न करें।
अच्छी या बुरी, हर तरह की
परिस्थिति को प्रभु की इच्छा
व अपना प्रारब्ध मानते हुए
अपने मन को स्थिर रखें।
ध्यान रहे, जो हमारा है वह
स्थिर ही रहेगा, और जो चला
गया, वह कभी हमारा था ही
नहीं। उसका हमारे साथ सिर्फ
इतना ही संयोग था, यह सोच
रखते हुए मन को स्थिर रखने
का प्रयास करें, आप कभी भी
विषाद - ग्रस्त नहीं होंगे। क्षण-
प्रतिक्षण होने वाली घटनाओं
को सहज भाव से स्वीकार करें
और हर हाल मे सहज व प्रसन्न
रहें।

ध्यान कहता है कि  ज्यादा से ज्यादा संवेदनशील बनो, जीवंत बनो। इतना ही नहीं कि संवेदनशील बनो
 अपने भावों को अनुभव करने में समर्थ हो जाओ ।
पानी पीते हुए पानी का ठंडापन अनुभव करो। आंखें बंद कर लो, धीरे-धीरे पानी पीओ और उसका स्वाद लो। पानी की शीतलता को महसूस करो और महसूस करो कि तुम शीतलता ही बन गए हो। जब तुम पानी पीते हो तो पानी की शीतलता तुममें प्रवेश करती है, तुम्हारा अंग बन जाती है। तुम्हारा मुंह शीतलता को छूता है, तुम्हारी जीभ उसे छूती है और ऐसे वह तुम में प्रविष्ट हो जाती है। उसे तुम्हारे पूरे शरीर में प्रविष्ट होने दो। उसकी लहरों को फैलने दो और तुम अपने पूरे शरीर में यह शीतलता महसूस करोगे। इस भांति तुम्हारी संवेदनशीलता बढ़ेगी, विकसित होगी और तुम ज्यादा जीवंत, ज्यादा भरे-पूरे हो जाओगे।
भोजन और पानी पीने के तरीकों में होश को शामिल करके, आप पहले दिन से ही आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। यही स्पाइन मेडीटेशन से घटित होता है।

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