मन की शान्ति क्या है और इसकामहत्व क्या है, इस प्रश्न का उत्तर दोही जगह मिलेगा

या तो उस व्यक्ति
के पास जो शान्ति से रहता है, या
फिर उस व्यक्ति के पास जो अकूत
धन-दौलत, सम्पत्ति, परिवार आदि
सब कुछ होते हुए भी अशांत रहता
है। सत्य यही है कि अगर मन की
शांति धन-दौलत से ही मिलती तो
हर दौलतमंद इंसान सुख-शान्ति से
जी रहा होता। किन्तु इसके विपरीत
बहुधा दौलत और सम्पत्ति वालों को
ही ज़्यादा अशांत देखा जाता है।
हमारे मन में कभी-कभी इतनी पीड़ा
व अशांति आ जाती है कि हम जीवन
को ही व्यर्थ समझने लगते हैं, और
कभी-कभी मृत्यु की  प्रतीक्षा करने
लगते हैं। मन की शान्ति के अभाव में
समस्त दौलत बेकार लगती है। जीवन
में कोई आनन्द नहीं रह जाता। अतः
जीवन को प्रसन्नतापूर्वक जीना चाहिये,
बोझ नहीं समझना चाहिए। जो जीवन
को बोझ समझने की गलती करते हैं,
वो फिर जीवन भर मन में आशंकाओं
एवं समस्याओं का बोझ ही ढोते रहते
हैं। जीवन को सरलता और सहजता
से जीएँ। जिसे प्रसन्न होना आता है,
वह हर हाल में प्रसन्न रहकर शांतिपूर्ण
ढंग से जीवन को जीते हैं। उन्हें किसी
भी तरह का अवसाद नहीं हो सकता।

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